जब मन भर जाए छोड़ देना हमें, बेवजह ना साताना ।।
हंसा नहीं सकते कोई बात नहीं, बस बार बार ना रुलाना ।।

 कोई अनहोनी ना हो जाए मेरी जान, ज़रा ध्यान से
नशें में तुम उसे कभी अपने पास ना बुलाना ।।

अब नहीं होंगे हम तुम्हें परेशान करने को हाज़िर 
अब सुकून से रहना तुम, हर लम्हा मुस्कुराना ।।

रिझाने को तुम्हें वह "ग़ालिब" का शेर सुनाएगा 
बदले में उसे तुम मेरी लिखी शायरी सुनाना ।।


याद इक ना इक दिन मेरी आएगी ही तुम्हें 
जब भी आए, तुम दौड़े चले आना ।।

हो सके तो "प्रीत" का अक्स ना ही खोजना उसमे 
वो नया खिलाड़ी है जान, उस से ग़ज़ल ना लिखवाना ।।