चेहरे पर मासूमियत; दिल में चोर बैठाए रखा है ।।
मीठी मीठी बातें कर तूने हमें छलावे में फंसाए रखा है ।।
कर्म तो देखो; चांद ने गर्दिश में रखा है तारों को
तो बादलों ने भी चांद को छुपाए रखा है ।।
ये है तोहमत की दुनिया; गुनहगार आज़ाद; ग़लत यहां सही है
बेगुनाहों को सूली पर चढ़ाए रखा है।।
कभी शराबी कहकर जिन्हें ठोकर मारी जाती थी
उन्हीं लोगों ने आज देश संभाले रखा है ।।
अंदाज़ ए बयां "प्रीत" का भी कुछ अनोखा है
ज़ुबां खामोश है मेरी; कलम ने शोर मचाए रखा है।।

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