जितनी गमगीन रात है; उतनी ही हसीन सुबह चाहिए
रात में चांद आए ना आए; हर शाम सूरज  डूबना चाहिए ।।

ये बेमतलब की दोस्ती हर पल रास नहीं आएगी 
रिश्ते में तेरा नहीं तो मेरा;  किसी का तो फायदा चाहिए ।।

वो तड़पे मेरी याद में पर मरे नहीं यही चाहता हूं 
मेरी आखिरी सांस तक वह भी मुझे ज़िंदा चाहिए।।

रोज़ ही उसके दर जा जा कर थक चुका हूं कह दो खुदा से
कल से मत्था टेकने उसे मेरे घर आना चाहिए ।।

मेरी ग़ज़ल में तेरा अक्स हो यह जरूरी तो नहीं 
मुझे पर हर ग़ज़ल में "प्रीत" का लहजा चाहिए ।।


    ....प्रीत....