बस तू ही
मैं अल्फ़ाज़ हूं तू मेरा गीत बन जा
कहीं पर बेकार लिखा मिसरा हूं
पूरा कर दे मुझे मेरी ग़ज़ल बन जा।।
इन तमाम उलझनों में जीना भूल गया हूं
संवार दे मेरा जीना मेरी ज़िन्दगी बन जा।।
मैं पंक्ति तू काव्या
मैं बंजर ज़मीं तू आसमां
इश्क़ की तेरे बारिश कर दे
मुझमें तू इस क़दर मिल जा।।
हद से गुज़र जाऊंगा तेरे इश्क़ में
इक बार आ बस सीने लग जा।।
आंखों की नमी; दिल का करार बन जा
आएगा मज़ा जीने में ; तू मेरी सांस बन जा।।
मेरा हमदर्द; मेरा ख्याल; मेरी आवाज़ बन जा
बेवजह मुस्कुराएगा "प्रीत"
तू बस लबों की मुस्कान बन जा।।
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