ज़माने भर की उलझनों में, मैं ज़लिल हो गया 
तूने जब हौसला दिया मां, मैं अमीर हो गया ।।

जब घर से दूर आया तेरी याद में बहुत रोया 
कभी खुद की बनाई जली रोटी खाकर 
तो कभी भूखा सोया ।।
तेरे खाने के स्वाद जैसी होटल के खाने की औकात नहीं 
सब कुछ है यहां दूर तलक 
मां बस तू मेरे पास नहीं ।।
जब फोन आया तेरा मैं हसीन हो गया ।।
आवाज़ सुनकर तेरी मैं अमीर हो गया ।।

ज़िम्मेदारियों के बोझ तले मैं कहीं दब गया 
सपनों के पीछे भागते भागते मैं कहीं गुम सा गया ।।
जब तूने राह दिखाई मां, मैं मंज़िल पा गया 
तूने हौसला दिया, मैं अमीर हो गया ।।

तेरा आशीर्वाद है तो मैं सब कुछ के जाऊंगा 
मेहनत इतनी करूंगा कि मंज़िल पा जाऊंगा 
सफल होने के बाद मैं जब तेरे सामने आऊंगा 
तू प्यार से सहलाएगी 
मैं इक दफा फिर से अमीर हो जाऊंगा ।।