एक फरियाद 


तू ही मेरी कायनात है,
 क़यामत तक तेरा इंतज़ार है।।
मेरे अल्फाजों की तरन्नुम,
 तुझ ही पे कुर्बान हैं।।


 बेसबब तुझसे उल्फत है,
 हरदम लबों पर तेरा ही नाम है।।
 तू मेरी सहर; 
तू ही शाम है।।

 हया है;
 इश्क़ जाहिर नहीं करते
 उलझे हुए से जज्बात हैं।।
 कशिश है तुझसे और तू ही अनजान है ।।

 मुख्तसर ही सही मुलाकात हो;
 रब से यही फ़रियाद है।।
दिल का क्या किसी पर भी आ जाए;
 यह परिंदा नादान है।।

 ज़माना छेड़ेगा मुझे,
ज़माना बड़ा अय्यार है
पर आज फिर अल्फाजों से
 "प्रिंस" करता इजहार है।।

                     -प्रिंस बुनकर