"प्रिंस" को मुकम्मल नज़र आता है

 



हर दफा जब तेरा ज़िक्र होता है मेरा हृदय थम सा जाता है।।
 तुझे पाने की आरज़ू है हर दम तेरा अक़्स नज़र आता है।।
 तेरी याद में जो अश्क बहाते हैं उनमें तेरा चेहरा निखर आता है
अब तो आलम यही है कि तुझमें ही खुदा नज़र आता है
 मेरे जज्बातों पर मेरा इख्तियार नहीं
 तू मुझे मयस्सर नहीं
 इश्क़ ये अधूरा ही सही
 "प्रिंस" को मुकम्मल नज़र आता है ।।